June 15, 2025

काशीपुर। उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मेलों में शुमार ऐतिहासिक चैती मेला महंगाई की भेंट चढ़ता जा रहा है। मेले की जिम्मेदारी प्रशासन के हाथ में आने के बाद से प्रतिवर्ष टेंडर महंगे होते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर मेले पर पड़ रहा है। महंगे टेंडर होने के बाद भी प्रशासन मेले में शौचालय आदि की समुचित व्यवस्थाएं नहीं कर सका। लोगों का कहना है कि सरकारीकरण से पहले पंडाओं का मेला ही सही था। मेले में इतनी महंगाई तो नहीं थी। यदि समय रहते मेले में महंगाई पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब लोग मेले में सिर्फ प्रसाद चढ़ाने ही जायेंगे और वहां कुछ भी खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा सकेंगे। महंगाई की वजह से चैती मेला आधा हो गया है। लोग मेले में खरीदारी करने से कतरा रहे हैं। मां बाल सुन्दरी देवी का डोला नगर मंदिर पहुंचने के बाद मेले की रौनक लगभग खत्म सी हो गयी है। हालांकि मेले में कुछ भीड़ नजर आ रही है लेकिन महंगाई के कारण वह उतनी खरीदारी नहीं कर पा रहे जैसे कि पुराने दौर में किया करते थे। झूलों की ही बात करें तो इन पर धनाढ्य वर्ग के ही लोग नजर आ रहे हैं। निम्न व मध्यम वर्ग के लोग झूलों पर जाने से कतरा रहे है क्योंकि झूले के महंगे दाम चुका पाना उनके बस की बात नहीं है। लोगों का कहना है कि यहां झूलों का टिकट सौ-सौ रूपये का है, जबकि अन्य शहरों में लगनी वाली नुमाइशों में यही टिकट 30, 40 या 50 रूपये तक का होता है। इसी तरह खाने-पीने के सामान व बच्चों के खेल-खिलौने सभी कुछ यहां महंगा है। दुकानदारों का कहना है कि इतनी महंगी दुकान मिली है, अगर सामान महंगा नहीं बेचें तो क्या करें? महंगाई के अलावा तमाम अव्यवस्थायें भी मेले में नजर आ रही हैं जिनमें सफाई एवं पार्किंग व्यवस्था मुख्य है। सफाई का आलम यह है कि गीता भवन, प्याऊ के बराबर से पीछे की ओर देखा जाये तो गंदगी का अम्बार नजर आता है। मेले में एक मात्र शौचालय है जिस पर लघुशंका करने के लिए बच्चे तक को दस रूपये का भुगतान करना पड़ रहा है। सचल शौचालय मेले से नदारद हैं। लोग खुले में शौच करते बताये जा रहे हैं। महादेव नहर की सफाई नहीं हो सकी है। हालांकि मेले में पुलिस व्यवस्था पूरी तरह चौकस है। इसके बावजूद मेले में पार्किंग व्यवस्था दुरूस्त नहीं है। कुण्डेश्वरी तिराहा पर ई-रिक्शा व अन्य तिपहिया वाहनों को बेरिकेटिंग पर रोका जा रहा है लेकिन दोनों ओर खड़ी कारों को हटाने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। इसके अतिरिक्त मोटेश्वर महादेव मंदिर के पीछे खड़े तमाम वाहन भी मेले की पार्किंग व्यवस्था को धता बता रहे हैं। खान-पान की बात करें तो लोग बड़ी दुकानों पर न जाकर 30 रूपये पाव बिकने वाली पकौड़ियों का स्वाद अधिकांशतः लेते नजर आ रहे हैं। इसके चलते पकौड़ियों की इन दुकानों पर ग्राहक टूट नहीं रहे हैं।

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