
काशीपुर। कुमायूँ गढ़वाल चैम्बर आॅफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्री ने उत्तराखण्ड राज्य की विभिन्न मण्डी समितियों द्वारा मैन्युफैक्चरिंग/प्रोसेसिंग इकाइयों को द्वितीय आवक पर मण्डी शुल्क एवं विकास उपकर वसूलने हेतु जारी किए जा रहे नोटिसों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। चैम्बर के अध्यक्ष अशोक बंसल द्वारा राज्य के मुख्य सचिव, उद्योग सचिव, कृषि सचिव एवं मंडी निदेशक को भेजे गए प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि सितारगंज, रुद्रपुर, हरिद्वार, किच्छा, काशीपुर, खटीमा आदि क्षेत्रों की मण्डी समितियों द्वारा राज्य के बाहर से निर्माण/प्रसंस्करण हेतु लाए गए कृषि उत्पादों पर शुल्क वसूली के नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जो उच्चतम न्यायालय के 09 दिसम्बर 2015 के निर्णय (मामलाः मैसर्स गुजरात अम्बुजा एक्सपोर्टस लिमिटेड बनाम उत्तराखण्ड राज्य) के प्रतिकूल है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि मैन्युफैक्चरिंग उद्देश्यों हेतु लाई गई वस्तुओं पर मण्डी शुल्क/सेस लगाना असंवैधानिक है, क्योंकि ऐसी स्थिति में वस्तुओं का बाजार क्षेत्र में क्रय विक्रय नहीं होता है और राज्य सरकार को मैन्युफैक्चरिंग उद्देश्य से लाई गई वस्तुओं पर मण्डी शुल्क/विकास उपकर लगाने का कोई संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है। यह भी उल्लेखनीय है कि संविधान की सातवीं अनुसूची के राज्य सूची (लिस्ट-2) की एंट्री 52 के अनुसार, ‘स्थानीय क्षेत्र में उपभोग, उपयोग या बिक्री के लिए वस्तुओं के प्रवेश पर कर’ केवल उन्हीं वस्तुओं पर लगाया जा सकता है, जो स्थानीय क्षेत्र में उपभोग, उपयोग या बिक्री के लिए लाई जाती हैं। मैन्युफैक्चरिंग/प्रोसेसिंग हेतु लाई गई वस्तुएं इस श्रेणी में नहीं आतीं, अतः उन पर मण्डी शुल्क ध् विकास उपकर वसूलना संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। चैम्बर यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि मंडी समिति के सचिवों द्वारा जारी किए गए नोटिस न केवल सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना हैं, बल्कि यह सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में भी आते हैं। उन्होंने कहा कि मण्डी समितियों द्वारा जारी नोटिसों के कारण औद्योगिक इकाइयों में भय एवं अनिश्चितता का वातावरण बन रहा है। राज्य की औद्योगिक नीति एवं निवेश के अनुकूल माहौल प्रभावित हो रहा है। संभावित निवेशकों का विश्वास डगमगा रहा है जिससे राज्य में निवेश प्रवाह बाधित हो सकता है। उद्योगों का ‘प्रशासनिक विवाद और आर्थिक भार’ बढ़ने से प्रतिस्पर्धा में बने रहना कठिन हो गया है तथा बंदी का संकट मंडराने लगा है। चैम्बर की मांग है कि सभी मण्डी समितियों को निर्देशित किया जाए कि मैन्युफैक्चरिंग /प्रोसेसिंग हेतु द्वितीय आवक पर मण्डी शुल्क/विकास उपकर सम्बन्धी सभी नोटिस/ आदेश तत्काल निरस्त किए जाएं। संबंधित अधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों एवं संविधान की एंट्री 52 लिस्ट-2 के अनुरूप कार्यवाही हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं।निवेशकों एवं उद्यमियों को आश्वस्त किया जाए कि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों एवं संविधान के प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही हेतु प्रतिब( है। अध्यक्ष ने कहा कि चैम्बर को विश्वास है कि उत्तराखण्ड सरकार राज्य की औद्योगिक प्रगति, निवेश संवर्धन एवं नीतिगत स्पष्टता के लिए त्वरित कदम उठाएगी, जिससे औद्योगिक इकाइयों के समक्ष उत्पन्न अनिश्चितता शीघ्र समाप्त हो सकेगी।

मुकुल मानव- सह संपादक
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