June 11, 2025
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देहरादून। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार के 11 वर्षों को लेकर कांग्रेस के उत्तराखंड प्रदेश सचिव शिवम शर्मा ने तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि यह एक ऐसा दशक रहा है जो महज झूठ का पुलिंदा साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जिन वादों के सहारे सत्ता हासिल की, वे या तो खोखले निकले या उनका इस्तेमाल समाज में विभाजन और भ्रम फैलाने के लिए किया गया। मीडिया को जारी अपने बयान में श्री शर्मा ने कहा कि इन 11 वर्षों में देश ने न विकास का वास्तविक स्वाद चखा, न रोजगार की बहार देखी। केवल विज्ञापनों और भाषणों में ‘अच्छे दिन’ आए। असल में तो इन वर्षों में सबसे अधिक अगर कुछ बढ़ा है, तो वह है नफरत। जातीय, धार्मिक और वैचारिक विभाजन ने सामाजिक ताने-बाने को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि रसोई गैस, पेट्रोल, डीज़ल, दवाइयां, शिक्षा और खाद्यान्न, हर जरूरी वस्तु की कीमतें आसमान छू रही हैं। श्री शर्मा ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि

गृहिणियां रसोई चलाने में असहाय हो चुकी हैं और गरीब का चूल्हा अब धुंआ नहीं उगलता, खालीपन उगलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे नारे वास्तविक धरातल पर विफल सिद्ध हुए। युवाओं के लिए रोजगार सृजन की जगह केवल परीक्षा पेपर लीक, संविदा नियुक्ति और निजीकरण के नाम पर छंटनी देखने को मिली।
प्रदेश कांग्रेस सचिव ने कहा कि भारत का युवा आज बेरोजगारी के अंधेरे में है, और सरकार आंकड़ों की बाज़ीगरी में व्यस्त है। आंकड़ों का हवाला देते हुए शिवम शर्मा ने कहा कि भारत पर केंद्र सरकार के कर्ज का बोझ मोदी शासन में दोगुना से अधिक हो गया है। आरोप लगाया कि आम जनता की जेब काटकर, पूंजीपतियों की तिजोरी भरी जा रही है। शर्मा ने कहा कि इस शासन ने भारत के हृदय से प्रेम और भाईचारे को काटकर फेंक दिया है। देश अब बहस नहीं, बहिष्कार से चलता दिख रहा है। जहां पहले विविधता में एकता थी, अब वही विविधता संदेह और घृणा में बदली जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ “मीडिया” को अपना प्रचारक बना दिया है। सवाल पूछना अब राजद्रोह जैसा माना जाता है। “पत्रकारों को डराया जाता है, छात्रों को जेल भेजा जाता है और आलोचना को राष्ट्रद्रोह बना दिया जाता है। शिवम शर्मा ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस देश के मूल संवैधानिक मूल्यों, समानता, न्याय, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए संघर्षरत है और आगे भी रहेगी।

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