December 22, 2024
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मानव गरिमा ब्यूरो
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काशीपुर। उत्तराखंड लोकसभा की हॉट सीट माने जाने वाली नैनीताल सीट पर कभी कांग्रेस का भारी दबदबा था। अविभाजित उतर प्रदेश में वर्ष 1990-91 के दौर में श्री राम जन्मभूमि का मुद्दा देशभर में जोर-शोर से छाया था। 1991 के आम चुनाव में नैनीताल सीट पर चुनावी सभा के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के कदम यहा पड़े और भाजपा को पहली बार इस सीट पर जीत का स्वाद चखने को मिला। तब हिंदुत्व के फायर ब्रांड रहे आडवाणी ने एनडी तिवारी के प्रधानमंत्री बनने के सपने को भी धाराशायी कर दिया। उत्तराखंड राज्य बनने से पहले यूपी के समय नैनीताल संयुक्त जिला था। इसका क्षेत्र बहेड़ी तक था और बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र बरेली जिले में जुड़ा था। तब इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था। तब आडवाणी ने हल्द्वानी की सभा में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला और कहा था कि जो लोग धर्मनिरपेक्षता का आडंबर ओढ़े हैं उसे खत्म करना चाहिए।
कहा कि वह पूरे विश्वास के साथ कह रहे हैं कि अयोध्या में अब राम मंदिर बनने से कोई रोक नहीं सकता। उस समय कुमाऊं में भाजपा की रैली अब तक की सबसे बड़ी रैली में गिनी जाती है। उस समय अप्रत्याशित भीड़ ने भाजपा प्रत्याशी बलराज पासी के पक्ष में माहौल बना दिया था। भाजपा के बलराज पासी ने इस सीट पर पहली जीत 8500 मतों से दर्ज की थी। तब देशभर में चर्चा थी कि एनडी तिवारी जीतते तो देश के प्रधानमंत्री बनते। चुनाव हार जाने के बाद एनडी तिवारी ने सार्वजनिक मंचों से कहा भी था कि उन्हें इस बात का मलाल है कि पर्वतीय क्षेत्र से प्रधानमंत्री मिलते-मिलते रह गया। चुनाव हारने के बाद भी एनडी तिवारी के बलराज पासी के साथ मधुर संबंध रहे और चुनाव हारने के बाद उन्हें अपने घर भी बुलाया था। वर्तमान में यह सीट नैनीताल-ऊधमसिंहनगर संसदीय सीट के नाम से जानी जाती है। इस बार भाजपा ने अजय भट्ट पर दोबारा विश्वास जताते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने नये चेहरे को तरजीह देते हुए प्रकाश जोशी को टिकट थमाया है। फिलहाल, उत्तराखंड में प्रथम चरण में 19 अप्रैल को चुनाव होने हैं और भाजपा और कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशी चुनावी मैदान में खम ठोंकने हुए हैं।

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