December 23, 2024
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मानव गरिमा ब्यूरो
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काशीपुर। खुल गया, खुल गया, खुल गया। जनप्रतिनिधियों और नेताओं की काशीपुर के विकास के प्रति इच्छाशक्ति को दर्शाने वाला सात साल से निर्माणाधीन रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) आखिरकार आज एक बार फिर हल्के वाहनों के आवागमन के लिए खोल दिया गया। हालांकि एनएच के सहायक अभियंता ने 23 अप्रैल को बताया था कि अभी इसमें छोटे-छोटे कई काम बाकी बचे हैं। उम्मीद है कि आरओबी को 30 अप्रैल तक खोल दिया जायेगा। बताते चलें कि बीती 15 अप्रैल को कुछ भाजपा नेताओं ने उक्त आरओबी को मनमाफिक खुलवाकर इस पर वाहनों की आवाजाही शुरू करवा दी थी, लेकिन 20 अप्रैल को ठेकेदार ने एक बार फिर इसे बंद कर दिया।कहना था कि अभी इसकी लोड टेस्टिंग होनी है। इसके बाद एनएच के अधिशासी अभियंता ने जसपुर विधायक आदेश चौहान से इसे 23 अप्रैल को दोपहर 2 बजे और फिर शाम 6 बजे खोलेन की बात कही। लेकिन 6 बजे एनएच के सहायक अभियंता प्रमोद सुयाल ने आकर बताया था कि उक्त आरओबी को अभी नहीं खोला जा सकता। क्योंकि अभी इसमें सांकेतिक बोर्ड लगने हैं। व्हाइट लाइन बननी हैं। रेलवे विभाग द्वारा निरीक्षण किया जाना है। कोशिश की जायेगी कि इसे 30 अप्रैल से पहले इसे खोल दिया जाये। लेकिन बिना बोर्ड लगाये, व्हाइट पट्टी, बिना हाइट बोर्ड (जिससे भारी वाहन प्रवेश न कर पायें) आदि लगे आज सुबह इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया। इधर, लगभग सात साल बाद खुला आरओबी काशीपुर की जनता को बहुत कुछ सिखा और समझा रहा है। आरओबी निर्माण में लगा समय यह बताने को काफी है कि काशीपुर में विकास किस तरह खिसक-खिसक कर हो रहा है। आरओबी बनकर तैयार हुआ तो काशीपुर ही नहीं बल्कि अन्य स्थानों के जनप्रतिनिधि इसे शुरू कराने का श्रेय लेने दौड़ पड़े, लेकिन सात साल तक इससे हुई आम जनता की पीड़ा को सुनने और जानने की जरूरत किसी ने महसूस नहीं की। किसी ने भी यह जानना नहीं चाहा कि आरओबी निर्माण के दौरान किस व्यापारी को कितना नुकसान उठाना पड़ा। कमजोर विपक्ष का चेहरा भी इस आरओबी ने जनता के सामने पेश किया है‌। विपक्ष मजबूत होता तो दो साल में बनने वाला यह आरओबी सात साल में छीछालेदर के बाद न खोला जाता। एक बात और, वह ये कि आरओबी के ऊपर सबकी निगाहें हैं, लेकिन नीचे झांकने वाला कोई नहीं है। चारों तरफ जिस तरह नाले पाट दिये गए हैं, वह भविष्य के लिए सुखद संकेत नहीं दे रहे।

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