काशीपुर। उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी की सदस्य एवं पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती इंदु मान ने उत्तराखंड में लगातार वनाग्नि के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि सरकार प्रदेश के विकास के प्रति पूरी तरह से उदासीन है।
उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं में लगभग डेढ़ हजार हेक्टर जंगल जल चुके हैं। 6 से अधिक मानव हानि हो चुकी है तथा अनगिनत वन्य जीवों की हानि की संभावना है। उत्तराखंड के वनों की स्थिति भयावह हो चुकी है। सरकार पूरी तरह से लापरवाह लगती है, यह अत्यंत चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि आखिर पर्यावरण मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग, वन संरक्षण विभाग के अधिकारी आदि कहां सोए हुए हैं। उन्हें अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करने में आखिर क्या कठिनाई है? यदि ऐसा है तो वह पद पर किस लिए बने हुए हैं?
पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती इंदु मान ने कहा कि उत्तराखंड में लगभग 65 प्रतिशत जंगल है जो कि न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के पर्यावरण को संतुलित करते हैं लेकिन वनाग्नि के चलते पर्यावरण का संतुलन लगातार बिगड़ रहा है। यही कारण है कि पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे कि प्रदेश की तीर्थयात्रा एवं पर्यटन पर निश्चित रूप से विपरीत प्रभाव पड़ेगा। श्रीमती मान ने कहा कि लगभग मार्च के महीने से ही वनाग्नि प्रारंभ हो चुकी थी जो कि अब विकराल रूप ले चुकी है लेकिन सरकार के कान पर बिल्कुल जूं नहीं रेंगी। अब जब स्थिति काबू से बाहर हो गई तब स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को बुलाना पड़ रहा है। यदि समय से कदम उठाया जाता तो वनाग्नि इतना भयंकर रूप नहीं ले पाती। कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आपदा प्रबंधन मंत्रालय एवं विभाग बिल्कुल फेल हो चुका है। ऐसी आपातकालीन स्थिति में उत्तराखंड सरकार अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करने में असफल नजर आ रही है। इंदु मान ने कहा कि वह सरकार से अपील करती हैं कि वह प्रदेश में इस तरह की घटना न होने देने के लिए प्रतिबद्ध हो ताकि वन संसाधन, पर्यावरण, मानव एवं वन्यजीव सुरक्षित रहें।
मुकुल मानव- सह संपादक
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