काशीपुर। साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन कुमार विवेक मानस के सौजन्य से उनके आवास जीजीआईसी के सामने हॉस्पिटल रोड जसपुर में किया गया, जिसकी अध्यक्षता राजकुमार राज ने जबकि संचालन ओइ्म शरण आर्य चंचल ने किया। काव्य संध्या का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के अनावरण, माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। सरस्वती वंदना कवि सोमपाल प्रजापति ने मधुर स्वर में प्रस्तुत की। कवियों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कवि जितेंद्र कुमार कटियार ने ‘गुजरी जो तेरी जिंदगी उसको तू याद न कर, तकदीर में जो लिखा है उसकी फरियाद न कर।’ कवि डॉ. सुरेंद्र शर्मा मधुर ने ‘प्यार का प्यारे ख्याल छोड़ दे, दिल में जो भी है मलाल छोड़ दे। किसी का हल तू पाएगा नहीं, इसीलिए हर एक सवाल छोड़ दे।’ कवि कैलाश चंद्र यादव ने ‘आंखें तेरी जानम पैमाने दो अफसाना हो, देखे कोई एक बार जो तुझको दीवाना, कैसे न हो।’ कवि मुनेश कुमार शर्मा ने ‘भले ही छोड़ दी हमने कि अब हम पी नहीं सकते, नज़र के सामने अपने हो मयखा़ना जरूरी है।’ कवि ओम शरण आर्य चंचल ने ‘वाटिका में चलो घूम आयें प्रिये, क्या पता यों समय फिर मिले न मिले, गीत हर प्यार का आओ गायें प्रिये, क्या पता यों समय फिर मिले न मिले।’ कवि कुमार विवेक मानस ने ‘करती प्रहसन ज़िंदगी लिपि है प्रभु के पास, करते सब अभिनय यहां जब तक जीवन आस।’ कवि प्रतोष मिश्रा ने ‘मुझको भी एक बार वोट दे दो, बदले में चाहे जितना नोट ले लो।’ कवि गंगाराम विमल ने ‘धरती के इंसान तुम्हीं, भगवान सदा वंदना करूं।’ कवि हेमचंद्र जोशी ने मन ही मन में क्यों शरमाते, सच में क्यों न दौड़े आते।’ कवि वीके मिश्रा ने ‘संगीत का मेला है तुम गीत बन के आना, आकर के फिर न जा बस दिल में समा जाना।’ कवि सोमपाल सिंह प्रजापति सोम ने हाय हाय रे महंगाई तू कौन देश से आई, जितना माह में खर्च होत है उतनी नहीं कमाई।’ कवि डॉ. ओम राज सिंह प्रजापति ने समाज के लोगों की बिगाड़ी चाल है, सभी जगह गोलमाल है। कवि सुरेंद्र भारद्वाज ने ‘ख्वाहिशें मर चुकी हैं आसमां यहां वहां है, बस सांसे चल रही है आदमी जिंदा कहां है।’ कवि हरिश्चंद्र पांडे ने ‘फिर रात हुई खामोशी छाई, याद साजन की घिर-घिर आई।’ कवि राजकुमार राज ने सत्कर्मों का लेखा-जोखा जाता सबके साथ, बतलाते हर प्राणी को कंधा देते हाथ।’ आदि रचनाएं प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। काव्य संध्या में पीयूष जैन, नीरज कुमार विश्नोई, श्रीमती कमलेश वर्मा, श्रीमती संगीता विश्नोई आदि उपस्थित रहे।
मुकुल मानव- सह संपादक
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