December 23, 2024
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मानव गरिमा ब्यूरो
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काशीपुर। काशीपुर बार एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा (प्रशासनिक जज) से नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचकर मुलाक़ात की तथा काशीपुर के आसपास के वादकारियों के लिए सुलभ एवं सस्ता न्याय के संदर्भित कई मुद्दों पर वार्ता कर एक मांगपत्र उन्हें सौंपा। उन्होंने जल्द ही उक्त मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया। मांगपत्र में कहा गया कि वर्तमान व्यवस्था के अन्तर्गत जसपुर व बाजपुर स्थित न्यायालयों में निर्णीत मामले की अपील एवं रिवीजन रुद्रपुर में जिला जज के न्यायालय में होते हैं जो कि जसपुर एवं बाजपुर से काफी दूरी पर है, जबकि सस्ता व सुलभ न्याय की दृष्टि से काशीपुर स्थित न्यायालय प्रथम व द्वितीय अपर जिला/सत्र न्यायाधीश काशीपुर, न्यायालय में अपील एवं रिवीजन दायर होने उनकी सुनवाई व निस्तारण होना वादकारियों एवं अधिवक्ताओं के हित में है, जिससे वादकारियों के समय व धन की बचत होगी और सस्ता व सुलभ न्याय के सिद्धान्त का समन्वय स्थापित करेगा जो कि न्याय की दृष्टि से भी सुसंगत है। पॉक्सो व एनडीपीएस के मामले, अगर रूद्रपुर के न्यायालय से आंकड़े लिये जायें तो उसमें ज्यादातर मामले काशीपुर, जसपुर व बाजपुर के हैं। पॉक्सो व एनडीपीएस कोर्ट रुद्रपुर में होने की वजह से वादकारियों का अधिक धन व समय लगता है तथा अधिवक्ताओं को रुद्रपुर जाने से उनके काशीपुर, जसपुर एवं बाजपुर से संबंधित मामले प्रभावित होते हैं। काशीपुर में दो न्यायालय प्रथम व द्वितीय अपर जिला/सत्र न्यायाधीश काशीपुर हैं जिनके पास पॉक्सो व एनडीपीएस के मामलों के निस्तारण हेतु पर्याप्त साधन आदि हैं तथा काशीपुर न्यायालय में इसके साथ वैकल्पिक संसाधन भी हैं। न्याय की दृष्टि से उक्त मामले काशीपुर स्थित न्यायालय में प्रथम व द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश को इसका अधिकार मिलना चाहिये, अगर इसके लिये अलग कोर्ट स्थापित करनी है तो काशीपुर न्यायालय में उसके लिए भी पर्याप्त जगह उपलब्ध है। उक्त मामलों का क्षेत्राधिकार काशीपुर न्यायालय से करने से वादकारियों को सस्ता एवं सुलभ न्याय मिल सकेगा। जो भी कोर्ट काशीपुर न्यायालय में प्रस्तावित है उन्हें शीघ्रातिशीघ्र न्याय की दृष्टि से काशीपुर स्थापित किया जाना आवश्यक है। काशीपुर क्षेत्र अधिक आबादी वाला व्यवसयिक क्षेत्र है तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम से सम्बन्धित अनेकों मामले यहां है परन्तु रुद्रपुर की अधिक दूरी के कारण वह ज्यादातर मामलों की कार्यवाही भी नहीं कर पाते जिससे उन्हें न्याय नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम से सम्बन्धित न्यायालयों को भी काशीपुर न्यायालय में स्थापित किया जाना आवश्यक है। निवेदन किया गया कि राज्य सरकार को इसकी संस्तुति करने की कृपा करें। मांगपत्र में आगे कहा गया कि श्रम न्यायालय काशीपुर के लिए है जिसका नोटिस पत्र भी हो चुका है काशीपुर में अनको मामले हैं तथा ये क्षेत्र व्यवसयिक है इसलिए श्रम न्यायालय काशीपुर में ही रहना उचित है जिससे वादकारियों को सस्ता एवं सुलभ न्याय मिल सके। एम.ए.सी.पी के मामलों के दायरे का अधिकार भी काशीपुर स्थित न्यायालय प्रथम व द्वितीय अपर जिला/सत्र न्यायाधीश/एम.ए.सी.टी काशीपुर को मिलना चाहिए। रुद्रपुर में उक्त मामलों के दायर होने से धन व समय दोनों अधिक लगता है क्योंकि उक्त मामले दायरे के बाद काशीपुर न्यायालय में हस्तांतरित हो जाते हैं तथा उनका निस्तारण काशीपुर न्यायालय में ही होता है, ऐसी स्थिति में उक्त मामले काशीपुर न्यायालय में ही दायर होना सुसंगत है। यह कि न्यायालय प्रथम व द्वितीय अपर जिला/सत्र न्यायाधीश काशीपुर को स्पेशल एक्ट जैसे इलैक्ट्रिसिटी एक्ट व एससी/एसटी एक्ट की दायरे व सुनवाई, निस्तारण भी काशीपुर न्यायालय में होना चाहिए जिससे वादकारियों को सस्ता व सुलभ न्याय मिल सके।स्पेशल पीएफए का रिमांड व सुनवाई एसीजेएम काशीपुर को मिलनी चाहिये इससे भी वादकारियों को रुद्रपुर जाना पड़ता है। भरतपुर न्याय पंचायत के अन्तर्गत आने वाले 14 ग्राम जो पहले तहसील जसपुर के अन्तर्गत आते थे अब काशीपुर तहसील के अन्तर्गत आ गये हैं और इस ग्रामों की खसरा व खतौनियां तहसील काशीपुर से जारी होती हैं तथा इस ग्रामों की भूमि का क्रय-विक्रय भी सब रजिस्ट्रार कार्यालय काशीपुर में होता है। ये सभी ग्राम थाना कुण्डा के अन्तर्गत आते हैं परन्तु थाना कुण्डा से सम्बन्धित फौजदारी मामले अभी भी जसपुर स्थित न्यायालय में निस्तारित होते हैं, जिसका निस्तारण न्याय की दृष्टि से काशीपुर स्थित न्यायालय में होना आवश्यक है। न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने जल्द ही उक्त मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया है। प्रतिनिधिमंडल में एसोसिएशन अध्यक्ष अवधेश कुमार चौबे, सचिव निपेंद्र कुमार चौधरी, उप सचिव सूरज कुमार, कोषाध्यक्ष सौरभ शर्मा व योगेश उपाध्याय थे।

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