मुरादाबाद। हाथरस जैसा हादसा यहां के लोग भी झेल चुके हैं। लाइनपार क्षेत्र को शहर से जोड़ने वाले कपूर कंपनी पुल पर 45 साल पहले अफवाह के कारण दशहरा वाले दिन भगदड़ मची थी। जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। उस भयावह मंजर को याद कर आज भी पीड़ित और चश्मदीद सिहर उठते हैं। इस हादसे की चश्मदीद आशियाना कॉलोनी की 82 वर्षीय आशा जैमिनी बताती हैं कि एक अक्तूबर 1979 की बात है। तब हमारा परिवार शहर के खालसा सराय मोहल्ले में रहता था। मैं अपने पति डॉ. शिव अवतार जैमिनी के साथ दशहरा मेला दिखने गई थी। पांच वर्षीय बेटा काव्य सौरभ जैमिनी हमारे साथ मौजूद था। शाम करीब साढ़े छह बजे मेला देखने के बाद घर लौट रहे थे। कपूर कंपनी पुल के बीचों बीच पहुंच गए थे। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि एक एक इंच आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। इसी दौरान किसी ने पुल टूटने की अफवाह फैला दी थी, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई। डॉ. शिव अवतार जैमिनी ने बेटे काव्य सौरभ को कंधे पर बैठा लिया था। हम किसी तरह रेलिंग पकड़ते हुए आगे बढ़ रहे थे। इसी दौरान रेलवे सिक लाइन के पास पुल से एक जीना दिखा। जिसके एक तरफ साइकिल के लिए रनवे बना हुआ था। मैंने और मेरे पति ने रनवे पर सरकना शुरू कर दिया था। जैसे ही हम लाइन के पास पहुंचे। इसी दौरान रेलिंग टूट कर नीचे गिर गई थी। जिसमें हम बाल-बाल बच गए थे। दिल्ली रोड मिलन विहार निवासी अशोक मल्होत्रा ने बताया कि उस वक्त हम बारादरी मोहल्ले में रहते थे। मैं मेला देखकर घर लौट रहा था। इसी दौरान पुल पर भगदड़ मच गई थी। वो हादसा आज भी याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जीलाल स्ट्रीट मोहल्ला निवासी मनोज रस्तोगी ने बताया कि मुझे और मेरे छोटे भाई अतुल, विपुल को ताऊ मेला दिखाने ले गए थे। जिस वक्त भगदड़ मची थी, उस वक्त हम पुल पार कर चुके थे। पीछे मुड़कर देखा तो चीख पुकार मच रही थी। वो मंजर बहुत भयावह था। किसी ने पुल टूटने की अफवाह फैला दी थी। सुभाष गुप्ता ने बताया कि उस दिन ख्याली राम शास्त्री उत्तर प्रदेश की हेमवती नंदन बहुगुणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने थे। वो शहर में पहुंचते थे कि हादसे की जानकारी मिल गई थी। उस वक्त मैं उनके साथ ही था। हम लोग मौके पर पहुंचे और अफसरों से जानकारी की तो पता चला कि पुल टूटने की अफवाह की वजह से भगदड़ मची थी।
मुकुल मानव- सह संपादक
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