December 22, 2024
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मानव गरिमा ब्यूरो
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रामपुर। गुरु का स्थान माता पिता और अन्य महापुरुषों से बड़ा होता है। इसीलिए संत कबीर ने कहा था कि “गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाँव, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताये।” अर्थात गुरु और भगवान दोनों खड़े हैं, किसके पैर छूना। लेकिन, मैं उस गुरु को नमन करता हूँ जिसने मुझे गोविंद (भगवान) से मिला दिया। इसलिए मुझे पहले गुरु के आगे ही नतमसतक होना होगा। उक्त उदगार भावाधस (भीम) के राष्ट्रीय प्रमुख धर्मगुरु वीरेश भीम अनार्य जी ने व्यक्त किये। वह आज वाल्मीकि धाम कोसी रोड पर आयोजित गुरुपूर्णिमा के अवसर पर अपना संबोधन दे रहे थे।
उन्होंने कहा दलित महापुरुषों भगवान वाल्मीकि, वेद व्यास आदि ने गुरु परम्परा प्रारम्भ की जिसे भावाधस संस्थापक वीरेश विकल जी महाराज ने आगे बढ़ाया और दुनिया को वाल्मीकि विचारधारा से जोड़ा और जय वाल्मीकि का नारा बुलंद किया। हम उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
राष्ट्रीय महामंत्री ने प्रस्ताव रखा कि अगले वर्ष 2025 से धर्म दीक्षा का कार्यक्रम गुरु पूर्णिमा पर प्रारंभ किया जाएगा। 30 सितंबर 2024 को विशाल वाल्मीकि चेतना सम्मेलन रामपुर में होगा और भीम अनार्य के नाम के साथ धर्म गुरु जोड़ा जायेगा क्योंकि विकल जी के ब्रह्मलीन होने से धर्मगुरु का स्थान रिक्त था। उपस्थित जन समूह ने ज़ोरदार नारों के साथ प्रस्ताव का स्वागत किया। इस दौरान राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा भीम अनार्य को चाँदी का मुकुट पहनाकर व पगड़ी बांधकर और शाल पहनाकर स्वागत किया। जिला संगठन रामपुर ने भी चाँदी का मुंकुट पहना कर स्वागत किया। राष्ट्रीय संचालक राहुल राही, राष्ट्रीय प्रचार मंत्री कैलाश एकलव्य, राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री सतीश पारछे, शिवनंदन टाँक राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, मुकेश चौधरी, अनिल कुमार, अर्जुन एकलव्य, कमल द्राविड़, राहुल सिंह, माइकल वाल्मीकि, जितेंद्र तूफ़ानी, सोनू वकील, विलय राम, शिवेंद्र भारती, कमल अंबेडकर, हनी कटारिया, उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष मनोज पवार ने 14 मीटर की पगड़ी बांधकर भव्य स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन वीर कमलेश्वर सिंह ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय वाल्मीकि सेना के प्रदेश महामंत्री राजू पर्च ने सेना से त्यागपत्र देकर भावाधस (भीम) की सदस्यता ग्रहण की। मण्डल अध्यक्ष यूथ विंग शरद राज ने आभार व्यक्त किया। अभिषेक बाबू ने सभी का स्वागत किया

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