मुरादाबाद। नौ साल पहले फव्वारा चौक पर कंप्यूटर ऑपरेटर पुष्पेंद्र की गोली मारकर हत्या करने के मामले में अदालत ने दोषी करार दिए गए दो सरकारी विभाग के लिपिकों समेत नौ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही प्रत्येक पर चार लाख तीस हजार रुपये अर्थदंड लगाया। साथ ही दो दोषियों पर तीस हजार रुपये पृथक रूप से जुर्माने से भी दंडित किया है। महिला कल्याण विभाग में संविदा पर कार्य करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर पुष्पेंद्र की हत्या मात्र शक के आधार पर कर दी गई थी। उसके पिता अनंग पाल उर्फ आनंद पाल पुत्र गिरधारी निवासी गोविंद नगर ने 21 सितंबर 2015 को थाना सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज कराया था। बताया कि उसका बेटा पुष्पेंद्र घर से कोचिंग के लिए निकला था। कोचिंग से लौटते समय तीन अज्ञात लड़कों ने उसके बेटे को गोली मार दी। उसका बेटा महिला कल्याण विभाग में संविदा पर कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करता था। यहां लिपिक चुन्नी लाल और मुकुट लाल भी काम करते थे। दो माह पहले किसी महिपाल नामक व्यक्ति ने ज़न सूचना अधिकार के तहत विभाग में हो रही धांधली के विषय में सूचना मांगी तो दोनों लिपिक उसके बेटे पर शक करने लगे। उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई थी। दोनों लिपिकों को शक था कि पुष्पेंद्र ने ही महिपाल से सूचना मंगवाई है। इसी बात की रंजिश दोनों लिपिक पुष्पेंद्र से रखने लगे। घटना के समय पुष्पेंद्र अपने साले विजय के साथ पीली कोठी की ओर से आ रहा था। हम दोनों के सामने ही तीनों अज्ञात बदमाशों ने गोली मारी और अपनी मोटरसाइकिल से भाग गए। उन्होंने बदमाशों का पीछा किया लेकिन वे हाथ नहीं आए। मौके पर मौजूद पुलिस ने पुष्पेंद्र को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले थाना पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू की। जिसमें सबसे पहले गोली मारने वाले आरोपी शहजाद और शादाब को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के सामने आरोपियों ने पूरा घटनाक्रम बता दिया और उनकी निशानदेही पर पुलिस ने हथियार भी बरामद किया।
आरोपियों ने यह भी बताया कि महिला कल्याण विभाग में कार्यरत चुन्नी लाल निवासी राम गंगा विहार साईं मंदिर के पास और मुकुट लाल निवासी चंदौसी ने ही हत्या के लिए सुपारी दी थी। इस घटना में शामिल दोनों लिपिकों के नाम के साथ-साथ जमील उर्फ खलील, जौहर, सलमान, आसिफ़, शहजाद, शादाब और फिरासत निवासी पुराना आरटीओ चक्कर की मिलक का नाम उजागर किया। मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या तीन सरोज कुमार यादव की अदालत में की गई। अतिरिक्त जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष भटनागर ने बताया कि मुकदमे में सोलह गवाह अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए, जिसमें न केवल वादी अनंग पाल बल्कि मृतक के साले विजय के साथ-साथ विजेंदर सिंह नामक गवाह ने आरोपियों के खिलाफ बयान दिए। अदालत ने पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर सभी आरोपियों को हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक दोषी पर चार लाख तीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दोषी पाए गए शादाब और शहजाद जिनके पास से तमंचा बरामद हुआ था। उन पर आयुध अधिनियम के अंतर्गत तीस -तीस हजार रुपये का जुर्माना अलग से लगाया गया है।
बीस करोड़ रुपये के गबन को छिपाने के लिए की गई हत्या
अतिरिक्त जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष भटनागर ने बताया कि पुष्पेंद्र महिला कल्याण विभाग में संविदा पर नौकरी करता था। जिसने घटना से करीब एक साल पहले नौकरी छोड़ दी थी। वह सरकारी नौकरी पाने के लिए तैयारी कर रहा था। महिला कल्याण विभाग के लिपिक चुन्नी लाल और मुकुट लाल ने बीस करोड़ रुपये की हेराफेरी की थी। इसकी जानकारी महिपाल नामक व्यक्ति को हो गई थी। इसी जानकारी को हासिल करने के लिए उसने सूचना मांगी थी। दोनों लिपिकों को संविदा पर काम कर रहे पुष्पेंद्र पर शक था कि महिपाल को विभाग में हो रही गड़बड़ी की खबर पुष्पेंद्र ने दी थी। इसी शक के आधार पर हत्याकांड को अंजाम दिया गया था।
करोडों के मालिक है चुन्नी और मुकुट
महिला कल्याण विभाग से सेवानिवृत्त और जघन्य हत्याकांड में दोषी पाए गए चुन्नी लाल और मुकुट करोड़ों रुपये के मालिक हैं। दोनों की संपत्ति न केवल मुरादाबाद जिले में बल्कि संभल जिले में भी है। इस मुकदमे से बचने के लिए दोनों दोषियों ने पुष्पेंद्र के पिता आनंद पाल उर्फ अनंग पाल को लालच में लेने का भी प्रयास किया था लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।
इन धाराओं में हुई सजा
अतिरिक्त जिला शासकीय अधिवक्ता मनीष भटनागर ने बताया कि पुष्पेंद्र हत्याकांड न्यायाधीश सरोज कुमार यादव की ओर से अभियुक्त चुन्नीलाल, मुकुट लाल,जलील उर्फ खलील, जौहर, सलमान, आसिफ़, शहजाद, शादाब, और फिरासत को धारा 302 में आजीवन कारावास तथा प्रत्येक पर दो-दो लाख रुपये जुर्माना व धारा 120बी में सभी दोषियों को आजीवन कारावास दो-दो लाख का जुर्माना लगाया है। धारा 147 में सभी दोषियों को एक वर्ष दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 148 में सभी दोषियों को दो साल कारावास व बीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आयुध अधिनियम में दोषी शहजाद ब शादाब को पृथक तीन वर्ष के कारावास तीस हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है।
मुकुल मानव- सह संपादक
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