बरेली। साइबर ठग ऑनलाइन ठगी के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए झांसे में लेकर लोगों से रुपये भी मांग रहे हैं। बरेली में हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें ठगों ने खुद को पुलिस वाला बताकर ठगी की कोशिश की। पुलिस अफसर भी अचानक ऐसे मामले बढ़ते देखकर हैरान हैं। आइए जानते हैं कैसे हो रही पुलिस के नाम से ठगी। साइबर ठग अभिभावकों को कॉल करके उनके बेटे-बेटियों के हिरासत में होने की बात कहकर धमकाते हैं। वह खुद को पुलिस या कस्टम अफसर बताकर बात करते हैं और ड्रग, सेक्स रैकेट जैसे मामले में बच्चों को पकड़ने की बात कहते हैं। हिरासत से रिहा करने के बदले परिजनों से रुपये मांगे जाते हैं। जिनके बच्चे दूसरे शहरों में रहकर पढ़ाई या नौकरी करते हैं। पुलिस का नाम सुनकर परिजन घबरा जाते हैं और जाल में फंस जाते हैं। हाल ही में ऐसे चार मामले साइबर थाना पुलिस के पास पहुंचे हैं जिनमें से तीन अभिभावकों ने होशियारी दिखाकर रुपये नहीं दिए तो कैंट के एक अभिभावक तीन लाख रुपये दे बैठे। इस मामले में जांच चल रही है। साइबर ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों से आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए रुपये की मांग भी कर रहे हैं। दो दिन पहले शहर की दो महिला शिकायतकर्ताओं को कॉलकर ठगों ने आरोपियों को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार करने की बात कही। आरोपी का नार्को टेस्ट कराने के नाम पर रुपये मांगे। हालांकि दोनों महिलाओं ने समझदारी दिखाते हुए पुलिस को सूचना दी। ऐसे फोन दूसरे जिले में भी लोगों के पास पहुंच रहे हैं। प्रतिष्ठित लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए ठगों का गिरोह लड़कियों से वीडियो कॉल करवाता है। धोखे से अश्लील वीडियो बनाया जाता है और पुलिस अधिकारी बनकर जेल भेजने की धमकी देते हुए वसूली की जाती है। डराने के लिए ठग नकली वर्दी पहनकर वीडियो कॉल करते हैं। पिछले दिनों त्रिलोक विहार में एक युवक को कॉल कर साइबर ठगों ने सीआईडी का अधिकारी बताया और कहा कि तुम्हारी वजह से लड़की ने आत्महत्या कर ली है, अगर बचना है तो रुपये का इंतजाम कर दो। युवक ने नंबर ब्लॉक कर दिया था। पुलिस के बड़े अधिकारियों के सोशल मीडिया अकाउंट के क्लोन बनाकर भी लोगों को ठगने की कोशिश हो रही है। कुछ दिन पहले साइबर ठगों ने बरेली रेंज के आईजी डॉ. राकेश सिंह की क्लोन आईडी बनाकर वसूली की कोशिश की थी। निवर्तमान एसएसपी अखिलेश चौरसिया की फर्जी आईजी बनाकर भी ठगी की कोशिश की गई। खुद को पुलिस, कस्टम, आयकर और ट्राई जैसे विभागों का अधिकारी बताकर साइबर ठग उच्च शिक्षित लोगों को वीडियो कॉल के जरिये अरेस्ट भी कर रहे हैं। वह वीडियो कॉलिंग के जरिये नजर रखते हैं। डिजिटल अरेस्ट कर बचने के लिए रुपये की मांग करते हैं। नोएडा में एक इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर बताया गया कि उसके नाम से सिमकार्ड लिया गया था। सिमकार्ड का प्रयोग मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है। इंजीनियर से 11 लाख रुपये ठगने के बाद साइबर ठगों ने वीडियो कॉल काट दी। कुछ दिन पहले मेडिकल की एक छात्रा से रुपये खाते में ट्रांसफर कराने का मामला बरेली में भी सामने आया है। आईजी डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि पुलिस का कोई अधिकारी या कर्मचारी पीड़ितों से रुपये नहीं मांगता। फोन पर ऐसी कॉल आए तो सावधान रहें और तत्काल पुलिस को सूचना दें। चारों जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश भी दिए गए हैं कि जनता में जागरूकता को लेकर काम करें।
ये बरतें सावधानी
- बच्चों को हिरासत में लेने की कॉल आए तो पहले बच्चे या उसके साथियों को कॉल करके सुनिश्चित करें कि क्या मामला है? ऑनलाइन रुपये न दें।
- डिजिटल हिरासत की स्थिति बने तो ठगों की कॉल डिस्कनेक्ट कर तत्काल पुलिस को सूचना दें।
- मुकदमों में कार्रवाई और आरोपी को पकड़ने की बात कहकर रुपये मांगने की कॉल आए तो स्पष्ट मना कर दें।
- अनजान वीडियो कॉल न उठाएं। क्योंकि न्यूड वीडियो बनाकर ठगी के मामले बढ़े हैं, इनसे सावधान रहें।
- रात में सोते वक्त मोबाइल पर इंटरनेट बंद करना भी ठगी से बचाता है।
- फिजूल के एप डाउनलोड न करें। किसी को आधार कार्ड या पैनकार्ड न भेजें।
- किसी नए लिंक पर क्लिक न करें, आपकी निजी जानकारी ठगों को मिल सकती है।
- किसी को ओटीपी न बताएं, बैंक संबंधी डिटेल न दें।
मुकुल मानव- सह संपादक
कार्यालय – वार्ड नंबर 17, हाउस नंबर 363, कानूनगोयान, काशीपुर
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