काशीपुर। निकाय चुनाव को लेकर उत्तराखंड के विभिन्न शहरों के साथ ही काशीपुर में भी घमासान छिड़ गया है। भाजपा-कांग्रेस समेत सभी दलों के प्रत्याशी विकास का नारा बुलंद करते हुए चुनावी अखाड़े में कम ठोक रहे हैं। इधर, देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील होने के कगार पर पहुंच रहा काशीपुर का रोडवेज बस स्टेशन विकास की दलीलों को सिरे से खारिज कर रहा है। रोडवेज कर्मियों ने कहा कि यदि समय रहते उच्चाधिकारियों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे हादसे की आशंका है। रोडवेज बस स्टेशन की स्थापना उत्तर प्रदेश के समय वर्ष 1982 में तत्कालीन वित्त मंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी द्वारा की गई थी। इसके बाद इस डिपो की ओर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने नहीं देखा। इसके चलते 26 वर्षों में डिपो की बिल्डिंग क्षतिग्रस्त होने लगी थी। वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद वर्ष 2008-09 में डिपो की रंगाई-पुताई और टूट-फूट सही कराई गई थी। उसके बाद से किसी भी अधिकारी ने डिपो के जीर्णशीर्ण हो रहे भवन की ओर ध्यान नहीं दिया। इसके चलते प्रत्येक वर्ष मानसून के दौरान डिपो के कमरों में छत से पानी रिसने से कार्यालय में रखे महत्वपूर्ण दस्तावेज खराब हो रहे हैं। डिपो के कर्मचारियों ने बताया कि कार्यालयों के कमरों के प्लास्टर उखड़ने लगा है। कई खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं। सर्दी के मौसम में कार्यालय कक्ष में बैठना मुश्किल हो रहा है। बिजली की बायरिंग भी जगह-जगह उखड़ रही है। वे लोग कई बार इस संबंध में उच्चाधिकारियों से भवन की रंगाई-पुताई और रिपेयर की मांग कर चुके हैं। रोडवेज बस स्टेशन के एससी/एसटी श्रमिक संघ के संरक्षक रामचंद्र ने बताया कि बीते दिनों इस संबंध में एक मांग पत्र सौंपा गया है जिसमें जीर्णशीर्ण हो रहे भवन की रंगाई-पुताई की मांग की गई है। उधर, निकाय चुनाव के चलते उम्मीद जताई जा रही है कि जनप्रतिनिधि एवं नेता बंधु इस मुद्दे को भी अपने एजेंडे में शामिल करने से परहेज़ नहीं करेंगे।
मुकुल मानव- सह संपादक
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