June 14, 2025

साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या संपन्न काशीपुर। साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन स्टेडियम रोड स्थित वीके मिश्रा के आवास किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. यशपाल सिंह रावत ने की। मुख्य अतिथि विजेंद्र सिंह चौधरी, विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेंद्र शर्मा मधुर एवं सुभाष त्यागी रहे। संचालन ओइ्म शरण आर्य चंचल ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र का अनावरण, माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। सरस्वती वंदना कु. प्राची तिवारी ने मधुर स्वर में प्रस्तुत की। कवियों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कवि जितेंद्र कुमार कटियार ने पहाड़ सी जिंदगी, अब काटे नहीं कटती, मौन रहकर जवानी, अब काटे नहीं कटती। कवि कैलाश चंद्र यादव ‘चल लगा भी प्रभु के चरण की लगन, गा ले मनवा बराबर हरि के भजन। कवि ओइ्म शरण आर्य चंचल ने भटक रहा हूं कब से दर-दर हंसने और हंसाने को, आप सुनें तो तान छेड़ दूं मन के गीत सुनाने को। कवि डॉ. सुरेंद्र शर्मा मधुर ने काहे मन घबराता है, दुख तो आता जाता है। कवि वीके मिश्रा ने झंझावातों में जब फंस गया जीवन, तुम अगर साथ निभाओ तो, बदल सकता है। कवि सोमपाल सिंह प्रजापति ने जा रहा तेरा लाल जहां से, मां अश्रुधार बहाना न, अब घड़ी विदा की आई मां, मुझे रोकर विदा कराना न। कवि डॉ. यशपाल सिंह रावत पथिक ने यहां शोलों से खेलने की आदत बना ले, यहां शोलों बिना जिंदगी, काटी नहीं जाती। कवि मुनेश कुमार शर्मा ने चाहे जितना प्यार निभा लो, जब तक जिंदा है, चले गए तो लौट के आना, मुश्किल होता है। कवि कुमार विवेक मानस ने शर्तों में जीवन यहां बांध सका है कौन, उलझी है उम्मीद भी सारे उत्तर मौन। कवि डॉ. प्रतोष मिश्रा ने सैनिक बनना इतना भी आसान नहीं, उसकी तो संपूर्ण जवानी लगती है। कवि सुभाष चंद्र अग्रवाल सीए ने सपनों को लोग क्यों झूठा बनाते हैं, यही तो एक जगह है जहां पर मिलने आते हैं। कवि सुरेंद्र भारद्वाज ने मेरी खामोशी मेरी कमजोरी नहीं है, यह हक की आवाज है सीना जोरी नहीं है। कवि डॉ. सुभाष चंद्र सिंह कुशवाहा ने नफरत की गठरी को लादे हुए सिर पर, क्यों आज बौना हो रहा है आदमी। कवि विजय प्रकाश कुशवाहा ने चल ए मेरे दिल तू मुस्कुराते हुए चल, गीत गाते हुए चल गुनगुनाते हुए चल। कवि शुभम लोहनी ने दर्द कितना भी हो लेकिन आह करते हम नहीं, पार करते दुर्गम पथों को वाह करते हम नहीं। कवि सत्य प्रकाश मिश्रा ने हमें हिंदुस्तान का सम्मान चाहिए, नहीं फ्रांस, जर्मन, जापान चाहिए। कवि अनुराग चौधरी ने मत परेशान करो इन भोले भाले किसानों को, न जमीन कबूलेंगी न पसंद आएंगे आसमानों को। कवियत्री कु. प्राची तिवारी ने भारत माता की जय बोलो, हिंदुस्तान हमारा है आंखें खोलो। कवियत्री श्रीमती नीता गोयल ने अब किसे कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ, दिल की झील सी आंखों में एक ख्वाब बहुत बर्बाद हुआ। काव्य संध्या में विजेंद्र सिंह चौधरी, नीरज कुमार, रानी बिश्नोई, अपूर्वा मिश्रा, ममता मिश्रा, सुभाष त्यागी, शैलेंद्र मिश्रा, राम रतन सक्सेना, गुंजन मौर्य आदि उपस्थित रहे।

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