
काशीपुर। साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन कुंडेश्वरी स्थित नवीन सिंह बिष्ट के प्रतिष्ठान पर किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. यशपाल सिंह रावत ‘पथिक’ ने जबकि संचालन ओम शरण आर्य चंचल ने किया। मुख्य अतिथि बाबा ज्ञानी सुभाग सिंह तथा विशिष्ट अतिथि उमेश जोशी एडवोकेट रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया। डॉ. सुरेंद्र भारद्वाज ने मधुर स्वर मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। तदुपरांत साहित्य दर्पण के सभी सदस्यों, कवियों, पत्रकारों, मीडिया प्रभारी तथा उपस्थित अन्य जनों का बैज अलंकरण पटका एवं फूलमालाओं से स्वागत कर किया गया। साथ ही नवीन सिंह बिष्ट के यूके कोचिंग सेंटर के सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।साथ ही क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्रों को भी मेडल एवं सर्टिफिकेट देकर पुरस्कृत किया गया। काव्य संध्या के आयोजन में कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कवि जितेंद्र कुमार कटियार ने-हंसने का हुनर हो हर परिस्थिति में जिसके पास, मुश्किलों में घबराने लगे, तो कोई बात जरूर होगी, तो कोई बात जरूर होगी। कवि कैलाश चंद्र यादव ने-तूने वफ़ा का यार, यह अच्छा सिला दिया, वर्षों की साधना को पल में भुला दिया। कवि सुभाष चंद्र अग्रवाल सीए ने-साथिया पानी न मिला यह आंसू ही काफी हैं मिलाने के लिए, यह लब तो सुरा पी ही जाएंगे पर कोई नहीं मिलता पानी पिलाने के लिए। कवि डॉ. सुरेंद्र शर्मा मधुर ने- रोज तेरा अहसास रहता है, फिर भी यह दिल उदास रहता है, मधुर जो प्यार का सम्मान करें, उसके आगे मधुमास रहता है। कवि ज्ञानी सुभाग सिंह ने-पेड़ लगाओ मिलकर पेड़ लगाओ, पर्यावरण को शुद्ध बनाओ। कवि डॉ. यशपाल सिंह रावत ‘पथिक’ ने-उम्र भर के सफर में उम्मीद की तलाश में, आप के शुभ काल में मैं काल टालता रहा, मात्र एक जीत के, वृथा मोह जाल में मैं हार कर हारा नहीं, मैं हार टालता रहा। कवित्री डॉ.पुनीता कुशवाहा ने- परीक्षा भवन में यह झुके हुए सिर, कैसा है भविष्य इनका यह जाएंगे किधर। कवित्री अंशिका जैन ने-शहीदों की इस भूमि को कैसे मिटने देंगे हम, केसरी और हरे रंग को कैसे बटने देंगे हम। कवि सुरेंद्र भारद्वाज ने-जिंदगी है प्यारे चलती रहेगी, लम्हा दर लम्हा रेत फिसलती रहेगी। कवि कुमार विवेक मानस ने-मध्य रात्रि सूर्य उगाकर सिंदूरी आकाश किया, दहशतगर्दों की जमात का क्षण भर में ही नाश किया। कवि प्रदोष मिश्रा ने-तुम्हें विश्वास देता हूं मुझे बस आस तुम दे दो, तुम्हारी व्यस्त दिनचर्या मुझे अब खास तुम दे दो। कवि विजय प्रकाश कुशवाहा ने-बीवियों की शिकायत नहीं कीजिए, बीवियों से मोहब्बत अजी कीजिए। कवि मुनेश कुमार शर्मा ने-एक डीजीपी जिन्होंने कितने एनकाउंटर किए होंगे, उनका ही एनकाउंटर घर में पत्नी ने कर दिया। कवि हेमचंद्र जोशी ने-किन शब्दों में व्यक्त करें आंखों में आंसू आते हैं, दहशत फैलाते आतंकी नफरत को नित्य बढ़ाते हैं। कवि कैलाश पर्वत ने-तैयारी है अंत की नाम रखा सिंदूर, सारे जग से मिटेगा आतंकी नासूर। कवि सुभाष चंद्र शर्मा ने-कुछ पल बिताए बाबा तेरी याद में, सांसों की सरगम पर कोई गाना बाकी नहीं। कवि ओम शरण आर्य चंचल ने-पाया जब से साथ तुम्हारा है हर दिन त्यौहार प्रिये, लगी महकने जीवन बगिया था जिसमें पतझार प्रिये। कवि नवीन सिंह नवीन ने-भारतीय रेल की जनरल बोगी, पता नहीं आपने भोगी या नहीं भोगी। कवि ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानी हिंदुस्तानी ने- शिव शंकर भोले साधना करते बिना हिले, बिन आंखें खोले। काव्य संध्या में अनुज जैन, सुश्री विनीता कुशवाहा, राकेश चौधरी, जगबीर सिंह, मनोज सिंह, श्रीमती मेनका देवी आदि मुख्यतः उपस्थित रहे।

मुकुल मानव- सह संपादक
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