मानव गरिमा ब्यूरो





काशीपुर। ब्रह्माकुमारीज के कार्यक्रम के आज तीसरे दिन में स्वयं को जानो विषय पर पूनम दीदी के द्वारा बताया गया कि कंट्रोल करने का मतलब जिस तरह हम जाना चाहते हैं जिस तरफ से हम अपनी डिक्शनरी पर पहुंच सकते हैं हमें उसे तरफ ही चलना है। यहां वहां भागने में हमें टाइम वेस्ट नहीं करना। यहां वहां की फालतू बातें सोच के अपने आप को कंफ्यूज में नहीं लाना है। मन को समझने के लिए मुझे थोड़ा समय निकालना पड़ेगा। हां, थ्योरी की बात है कि हम मन बुद्धि संस्कार संस्कार जो हमारे अंदर हैं, उसी अनुसार ही हमारे मन के संकल्पों की उत्पत्ति होती है और फिर जो हमारी बुद्धि की आदत होगी बुद्धि या तो मन को कंट्रोल करेगी या बुद्धि भी घबरा कर बैठ जाएगी। अलग होकर देखेगी कि मन इधर-उधर भाग रहा है परंतु बुद्धि को यह पहचान है कि मैं हूं। बुद्धि को यह समझ नहीं आई कि मुझे अब मन घोड़े को कंट्रोल करने की जरूरत है। जितना बुद्धि अपने कर्तव्य को याद रखेगी, बुद्धि अपनी इस प्रकार से स्थिति बनाकर रखेगी तो फिर बुद्धि अपने मन को अच्छी तरीके से संभाल सकेगी। जैसे मां छोटे बच्चों को संभालती है। प्यार से। भय से नहीं। क्रोध से नहीं। जब प्यार से बच्चों को संभाल सकते हैं तो फिर प्यार से ही वह बच्चा बड़ा होकर मां को दुआएं देता है कि मां ने मुझे बचपन से ही बहुत कुछ सिखाया है। जीवन जीने का क्या रहस्य है। संस्कार हमारे जीवन में कितना महत्व रखते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इंजेक्शन रूपी एक मंत्र के द्वारा सभी श्रोताओं को जीवन जीने का नया आधार और पॉजिटिव रहकर जीवन में किस प्रकार से प्रसन्नता और आनंद से रहे, इस बात का रहस्य समझाया। इस कार्यक्रम में शहर की जानी-मानी हस्तियां और आमजन के सहित ब्रह्म कुमारी के बरेली मुरादाबाद इंदौर आदि से बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं।

सह संपादक मानव गरिमा
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