नेत्र मानव को ईश्वर की महान देन है। हम अपने ज्ञान का दो तिहाई केवल नेत्रों के माध्यम से ही ग्रहण करते है, अर्थात नेत्र न हो तो जीवन काफी कठिन हो जाता है। यह दुःख का विषय है कि भारत में नेत्रहीनों की संख्या में काफी आगे है। दुनिया भर के चार करोड़ से भी अधिक नेत्रहीनों में से 25 प्रतिशत यानि 1 करोड़ 10 लाख से अधिक भारत में हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में उन्नति के फलस्वरूप कि इनमें से लगभग 30 लाख कॉर्नियल ब्लाईन्ड्स के अंधेरे जीवन को उजालों में बदला जा सकता है परन्तु इसके लिए आवश्यकता है मानव नेत्र कार्निया की। यह भी दुःख का विषय है कि 1 अरब से ज्यादा जनसंख्या वाले हमारे देश में नेत्रदान में कमी के कारण प्रतिवर्ष लगभग 30,000 कॉर्निया ही मिल पाते हैं। मृत्युपरांत 6 घण्टे के भीतर आँख का कार्निया निकालकर 72 घण्टे में उसका प्रत्यारोपण हो जाता चाहिए। कमी है केवल स्वेच्छा और दृढ़ संकल्प से नेत्रदान करने वाले व्यक्तियों की। आईये आज ही प्रण करें कि आप भी मृत्यु के पश्चात् दो व्यक्तियों के सूने नेत्रों में जीवंत ज्योति का प्रकाश भरेगें। कोई भी धर्म/समाज इस कार्य के लिए मना नहीं करता। आप चाहें किसी भी आयु, जाति लिंग के हो, चश्मा लगाते हो, आपको मोतियाबिन्द हो या कोई और छोटी बीमारी हो तो आप अपनी मृत्यु के उपरान्त नेत्रदान कर सकते हैं। मुस्कुराकर ऐसा दान दें जिससे आप दो व्यक्तियों में मृत्यु उपरांत भी जीवित रहें और किसी का जीवन खुशियों से महक उठे। यदि भारत के आधा प्रतिशत नागरिक उद्धार को नेत्रदान करें तो भारत में एक भी कार्नियल नेत्रहीन नहीं रहेगा। क्या आप ऐसे भाग्यशाली नागरिक बनना चाहते हैं। हाँ तो आज ही राष्ट्र को नेत्रदान करने की घोषणा करें। कहें कि
मैं स्वेच्छा से अपने नेत्रदान करने का संकल्प लेता/लेती हूँ। मेरी अभिलाषा है कि मृत्योपरान्त मेरे नेत्रों को सीएल गुप्ता आई बैंक मुरादाबाद को प्रत्यारोपण, चिकित्सीय/शिक्षा अनुसंधान हेतु दान दे दिया जाये।
मुकुल मानव- सह संपादक
कार्यालय – वार्ड नंबर 17, हाउस नंबर 363, कानूनगोयान, काशीपुर
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