






उत्तर भारत की सुप्रसिद्ध शोभायात्रा का इतिहास काफी पुराना है। कालांतर में मां मनसा देवी जी की प्रतिमा की नगर परिक्रमा शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को एक टोकरी में सिर पर रखकर और बाद में ठेले पर रखकर कराई जाती थी। करीब पांच दशक पूर्व शोभायात्रा का स्वरूप बदला और फिर बदलता ही गया। शोभायात्रा का स्वरूप बदलने का श्रेय नेतृत्वकर्ता श्री रमेश चंद्र शर्मा उर्फ खुट्टू मास्टर को जाता है। उनके निधन के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र विकास शर्मा खुट्टू ने शोभायात्रा की कमान संभाली। 52वीं शोभायात्रा के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर शोभायात्रा प्रमुख विकास शर्मा खुट्टू एवं आयोजन कमेटी के पदाधिकारियों व सदस्यों ने स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों एवं श्रृद्धालु जनता का आभार व्यक्त किया है।

सह संपादक मानव गरिमा
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