हल्द्वानी। होली की तरह दीपावली पर्व भी अलग-अलग दिन मनाने पर बहस छिड़ गई है। हालांकि अधिकतर ज्योतिष एक नवंबर को दीपावली पर्व की बात स्वीकार रहे हैं। ज्योतिषों के अनुसार दो दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या होने पर दूसरे दिन दीपावली पर्व मनाना शास्त्र सम्मत माना गया है। ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी ने बताया कि दीपावाली पर्व पर स्वाति नक्षत्र का होना अति आवश्यक है और स्वाति नक्षत्र एक नवंबर को पड़ रहा है। ऐसे में महालक्ष्मी पूजन एक नवंबर को ही शास्त्र सम्मत माना जाएगा। उनका कहना है कि उत्तराखंड में जितने भी पंचांग हैं, उन सभी में एक नवंबर को ही दीपोत्सव मनाने का जिक्र है। वहीं हल्दूचौड़ निवासी ज्योतिष त्रिभुवन उप्रेती ने बताया कि कुमाऊं में दीपावली एक नवंबर को होगी, इसमें कोई संकोच या असमंजस की स्थिति नहीं है। कुमाऊं के सर्वश्रेष्ठ पंचांग तारा प्रसाद, दिव्य पंचांग रामनगर और श्री गणेश मार्तंड रामदत्त पंचांग के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन दीपावली को एक नवंबर को मनाया जाना उचित है।
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धनतेरस पूजा एवं यम दीपदान मुहूर्त- 29 अक्तूबर की शाम 5:30 से 8:25 बजे तक।
छोटी दीपावली नरक चतुर्दशी-31 अक्तूबर को सूर्योदय से पूर्व शाम 5:13 से शाम 6:24 बजे के बीच।
श्री महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त-एक नवंबर को प्रातः काल चौघडिया मुहूर्त 7:53 से शुरू होगा और प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 5:23 से रात्रि 8:20 बजे तक।
मुकुल मानव- सह संपादक
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