काशीपुर। वर्ष 1947 से पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में एक सुनियोजित तरीके से हिंदुओं के खिलाफ लूटपाट, बलात्कार, उत्पीड़न और क़त्लेआम की घटनाएं होती रहीं, जिनके परिणामस्वरूप लाखों हिंदू अपने घरों से बेघर हो गए। दुर्भाग्यवश, वही हिंसा और बर्बरता आज बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही है।बांग्लादेश में हिंदुओं की भूमि, संपत्तियों पर कब्जा किया जा रहा है, उनके घर जलाए जा रहे हैं, लूटपाट और बलात्कार जैसे घृणित अपराध हो रहे हैं। इन घटनाओं का मकसद हिंदुओं को पूरी तरह खत्म करना या उन्हें अपने धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना है। वर्ष 1947 में बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में हिंदुओं की आबादी 22% थी, जो आज घटकर केवल 7.5% रह गई है। लेकिन इतनी कम आबादी भी वहां के मजहबी कट्टरपंथियों को खटक रही है। भारत और बांग्लादेश का तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य किया जाये तो भारत में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या वृद्धि दर 29.5% है, जबकि हिंदू समुदाय की वृद्धि दर मात्र 19.5% है। इसके बावजूद, भारत में अल्पसंख्यकों को हर तरह का संरक्षण और प्राथमिकता दी जाती रही है। इसके विपरीत, बांग्लादेश सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को न केवल अनदेखा कर रही है, बल्कि उनका अप्रत्यक्ष समर्थन भी करती दिख रही है। हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय हिंदू संस्था इस्कॉन को बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया और प्रमुख हिंदू धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास जी को झूठे आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया। यह कहना है उत्तरांचल पंजाबी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव घई का। मीडिया को जारी बयान में राजीव घई ने कहा कि उत्तरांचल पंजाबी महासभा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हुए बांग्लादेश सरकार से अपील करती है कि वह झूठे आरोपों में गिरफ्तार चिन्मय दास जी को तुरंत रिहा करे। भारत सरकार को इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए बांग्लादेश को स्पष्ट संदेश देना चाहिए। इसके लिए बांग्लादेश का वीज़ा तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। बांग्लादेश के साथ आयात-निर्यात और व्यापारिक संबंधों को निलंबित किया जाए।सभी हिंदू संस्थाओं को इस अन्याय के विरोध में एकजुट होना चाहिए और एक संगठित रणनीति बनानी चाहिए। उत्तरांचल पंजाबी महासभा भारत की समस्त मुस्लिम संस्थाओं से भी आग्रह करती है कि वे बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की खुलकर निंदा करें और एकता का संदेश दें। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से उदारता और सहनशीलता का प्रतीक रहा है। लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी उदारता का दुरुपयोग न हो। बांग्लादेश में हो रहे हिंदू विरोधी अत्याचारों के खिलाफ हमें सामूहिक रूप से आवाज उठानी होगी।
मुकुल मानव- सह संपादक
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