
काशीपुर। काशीपुर कुमाऊं का वो शहर है, जिसे यूपी और उत्तराखंड दोनों राज्यों का मुख्यमंत्रित्व संभालने वाले पं. नारायण दत्त तिवारी की कर्मस्थली माना जाता है। काशीपुर ही वो शहर रहा, जिसने एक-दो नहीं, बल्कि चार-चार बार तिवारी को विधायक चुना। तिवारी ने भी विधायक और मुख्यमंत्री रहते हुए काशीपुर में शिक्षण संस्थाओं, उद्योगों के विकास के साथ सड़कों का जाल बिछाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि क्षेत्रवासियों ने उन्हें नया नाम ‘विकास पुरुष’ दे दिया। इसके बाद स. हरभजन सिंह चीमा ही जनता की एकमात्र पसंद बने और लगातार चार बार उन्हें यहां की जनता ने अपना विधायक चुना। ये अलग बात है कि चीमा ने काशीपुर के विकास के लिए ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जिसे काशीपुर के इतिहास में दर्ज किया जा सके। श्री चीमा सत्ता के मोह में इस कदर फंसे कि अपने इर्द-गिर्द रहने वालों को मौका देने की उन्होंने कतई भी जरूरत नहीं समझी। बीते विधानसभा चुनाव में तमाम दावेदारों को दरकिनार कर श्री चीमा ने न सिर्फ अपने पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को विधानसभा का टिकट दिलाया, बल्कि चुनाव जिताकर उन्हें विधायक भी बना दिया। चुनाव के दौरान अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का दम भरने वाले त्रिलोक सिंह चीमा ने विधायक बनने के बाद से अब तक ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिसे उनकी उपलब्धि माना जा सके। पूर्व विधायक चीमा ने एक आरओबी शहर के बीच बनवाया जो कि हास्य का पात्र माना जाता है, जबकि दूसरा अनन्या होटल के समीप दस वर्षों से निर्माणाधीन है। वहीं, वर्तमान विधायक त्रिलोक सिंह चीमा रोडवेज बस स्टैंड को शिफ्ट कराने में विफल साबित हो रहे हैं।
बताते चलें कि एनडी तिवारी ने सबसे पहले वर्ष 1967 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। वह अपने प्रतिद्वंद्वी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के रामदत्त जोशी से 1580 वोटों से हार गए थे। इसके बाद उन्होंने दूसरी बार वर्ष 1969 में मध्यवर्ती चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी पीएसपी के रामदत्त जोशी को 17 हजार 500 वोटों से हराया था। इसके बाद तिवारी मुख्यमंत्री सीबी गुप्ता के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने। वहीं वर्ष 1974 में विधानसभा के चुनाव में 24 हजार 808 वोटों से जीतकर विधायक बने। तब वह हेमवती नंदन बहुगुणा के मंत्रिमंडल में कई विभागों के मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद जनवरी 1976 में एनडी तिवारी पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। यहां बता दें कि एनडी तिवारी ने काशीपुर से 1985 में आखिरी बार चुनाव लड़ा और विधायक बने थे। नवगठित उत्तराखंड प्रदेश के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड भी श्री तिवारी के नाम रहा, जिन्होंने अपने पूरे पांच वर्षीय मुख्यमंत्रित्व काल में समूचे उत्तराखंड का बहुमुखी विकास किया। काशीपुर में तमाम कल-कारखानों के साथ ही राजकीय चिकित्सालय, राजकीय पॉलीटेक्निक, सीतापुर आई हॉस्पिटल, डिग्री कालेज, शुगर मिल, नया ढेला पुल, औद्योगिक आस्थान आदि विकास पुरुष पं. नारायण दत्त तिवारी की ही देन है। श्री तिवारी ने काशीपुर में विकास के जो कीर्तिमान स्थापित किए, वे श्री चीमा (पिता-पुत्र) शायद ही कभी कर सकें। अब मेयर चुनाव जीतने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आशीर्वाद से दीपक बाली यदि काशीपुर का कायाकल्प कर रहे हैं तो आपत्ति क्यों? ये एक यक्ष प्रश्न है, जिसका जवाब चाहते हुए काशीपुर की जनता मेयर दीपक बाली के साथ है। जनता विकास चाहती है, वह विकास जिसके लिए वह वर्षों से तरस रही है। विकास पुरुष एनडी तिवारी के बाद दीपक बाली के रूप में काशीपुर को विकास का मसीहा मिला है, जनता अपने इस मसीहा के हर फैसले से खुश है।

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