December 23, 2024
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मानव गरिमा ब्यूरो
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वाराणसी। द्वापर युग के महाभारत काल का संयोग एक बार फिर बन रहा है। इसके कारण आषाढ़ कृष्ण पक्ष सिर्फ 13 दिन का होगा। महाभारत के पहले 13 दिन का पक्ष निर्मित हुआ था। ज्योतिष शास्त्र में इसे दुर्योग काल माना जा रहा है। महाभारत काल का संयोग बनने के कारण प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार संवत 2081 में आषाढ़ मास 23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा। इस दौरान कृष्ण पक्ष केवल 13 दिन का रहेगा। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की शुरुआत 23 जून को होगी और समापन पांच जुलाई को होगा।
इस कृष्ण पक्ष में दो तिथियों द्वितीया और चतुर्थी का क्षय हो रहा है। इस कारण यह कृष्ण पक्ष केवल 13 दिनों का रहेगा। अब शुक्ल पक्ष छह जुलाई से शुरू हो रहा है जो 21 जुलाई तक चलेगा। ऐसा संयोग कई शताब्दियों में बनता है और इसे विश्व घस्त्र पक्ष कहते हैं।ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार यह बहुत बड़ा दुर्योग है। महाभारत युद्ध के पहले 13 दिन के पक्ष में यह दुर्योग काल आया था। उस समय बड़ी जनधन हानि हुई थी। घनघोर युद्ध था। इस साल दुर्योग काल के चलते प्रकृति का प्रकोप बढ़ने की आशंका बन रही है। इसके पूर्व 2021 में भाद्रपद शुक्ल पक्ष 13 दिन का बना था।
विक्रम संवत का प्रत्येक महीना दो पखवाड़ा यानी 15-15 दिनों का होता है। इसे कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष कहा जाता है। जब किसी पक्ष में एक तिथि दो दिन पड़ती है तो यह पक्ष 16 दिनों का हो जाता है और तिथि के घटने पर 14 दिनों का होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां यदा भवेद्रौरव काल योगः। पक्षे विनष्टं सकलं विनष्ट मित्याहुराचार्यवराः समस्ताः। एकपक्षे यदा यान्ति तिथियश्च त्रयोदश। त्रयस्तत्र क्षयं यान्ति वाजिनो मनुजा गज:।। त्रयोदश दिने पक्षे तदा संहरेत जगत् । अपि वर्षे सहस्रेण कालयोग प्रकीर्तित:।। द्वितियामारभ्य चतुर्दश्यन्तं तिथिद्वये ह्रासे। त्रयोदश दिनात्मक: पक्षोऽति दोषोवतो भवति।। अर्थात आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दोनों का है। 13 दिन का पक्ष होने से पृथ्वी पर जनहानि युद्ध की संभावना होती है जिस वर्ष 13 दिन का पक्ष होता है वह वर्ष संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है।
विशेष कर द्वितीया तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि पर्यंत अगर दो तिथि का क्षय हो तो विशेष रूप से संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है यह पक्ष मंगल कार्य हेतु भी उत्तम नहीं है। यह रौरव काल संज्ञक दुर्योग होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे अच्छा नहीं माना गया है। ऐसा दुर्योग होने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजसत्ता का परिवर्तन, विप्लव, वर्ग भेद आदि उपद्रव होने की संभावना पूरे साल बनी रहती है।

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